Sunday, April 19, 2020

मेरी कहानी

                                                            

वो कहते है अब घर में ही रहना होगा 
बिन कुछ कहे सब सहना होगा 
अपने सपने भूलकर दूसरों के सपने जीना होगा 


वो कहते है अब कहीं न आना कहीं न जाना होगा 
अपनी खुशी से पहले ओरो की खुशी को चुनना होगा
अपने आँसू पी कर मुसकराकर जीना सिखना होगा 
कभी बेटी कभी पत्नी कभी माँ बनकर फर्ज निभाते जाना होगा ।


रेत - सी हाथ से निकलती जिंदगी अब भी जीना चहाती हूँ
अधूरे - से संपने अभी भी पूरा करना चाहती हूँ 
अधूरी रह गयीं आस को अब भी पाना चहाती हूँ 
उन टूटे पंखो से आसमां को अभी भी छूना चहाती हूँ


वो कहते है अब वो समय नहीं, अब वो  दौर नहीं
अब जीवन पहला - सा नहीं, अब मैं पहले - सी मैं नहीं


वो कहते है यही मेरी जिदंगी की कहानी है, 
थोड़ी जिम्मेदारियां अभी और निभानी है ।


क्या यह सिर्फ मेरी कहानी है या आपकी मेरी जुबानी है ?


                                              ©Anuradha

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