Monday, July 6, 2020

उम्मीद



आजकल मन जरा बेचैन सा रहता है,
होंठों पे मुस्कान, दिल उदास सा रहता है।

इंतजार में हर पल अब गुजरता है,
अब दीदार करने को मन तरसता है।
यादों के इस तूफान में मन कश्ती सा भटकता है।

आँख भर आती हैं, याद उसकी जब भी आती है ।
उसके बस एक खयाल से नींद मेंरी उड जाती है।

फिर भी दिल को उससे कोई गिला न शिकवा है,
कयोंकि वो भी कुछ ऐसे ही आजकल जीता है।

हमें उम्मीद है कि हम जल्द ही मिलेंगे और फिर कभी न बिछड़ेंगे। 
यह जुदाई जरा सी लम्बी है, मिलने की उम्मीद उतनी ही पक्की है।

फिर बनाएँगे हम लम्हों का जहान कुछ और नई यादें और नया कारवां 
निकलेंगे सतरंगी सफर पर फिर हाथ पकड़ कर।

यह समय भी गुजर जाएगा, प्यार का मौसम जल्द ही आएगा ।
आशाओं का सूरज उम्मीदों की धूप फिर चमकाएगा।


                                              ©Anuradha



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